नमक तुम हाथ में लेकर, सितमगर सोचते क्या हो Rajeev Jain October 3, 2015 Uncategorized Comments नमक तुम हाथ में लेकर, सितमगर सोचते क्या हो,, हजारों जख्म है दिल पर, जहाँ चाहो छिड़क डालो…!!