ना बादशाह हूँ मै दिलों का,
ना शायर हूँ मै लफ़्ज़ों का ..
.. बस जुबां साथ देती है,
मै बातें दिल से करता हूँ !!
ना बादशाह हूँ मै दिलों का,
ना शायर हूँ मै लफ़्ज़ों का ..
.. बस जुबां साथ देती है,
मै बातें दिल से करता हूँ !!
आदते बूरी नही शोक ऊचे हैं वर्ना किसी ख्वाब की
इतनी ओकात नहीं कि हम देखें ओर पूरा ना हो
इतने अमीर तो नहीं कि सब कुछ खरीद लें…
पर इतने गरीब भी नहीं हुए कि खुद का स्वाभिमान ही बेंच दें
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं
राज तो हमारा हर जगह पे है…। पसंद करने वालों के “दिल” में
और नापसंद करने वालों के “दिमाग” में…।।
हम मतलबी नहीं की चाहने वालो को धोखा दे,
बस हमें समझना हर किसी के बस की बात नहीं !!!
जहाँ हमारी क़दर ना हो वहाँ रहना फिज़ूल है …!!
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल …!!
वफाओं से मुकर जाना मुझे आया नहीं अब तक,
जो वाकिफ ना हो चाहत से मैं उनसे ज़िद नहीं करता.!
सहारे ढूढ़ने की आदत नही हमारी
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है…
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे
प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही