उफ़्फ़! कितनी बार कहा हैं, शाम ढले याद आया ना करो…
शाम की चाय ज़्यादा मिट्ठी हो जाती हैं…!!
Hindi Shayari – Poetry In Hindi
Best Hindi Sher O Shayari And Ghazal Collection
उफ़्फ़! कितनी बार कहा हैं, शाम ढले याद आया ना करो…
शाम की चाय ज़्यादा मिट्ठी हो जाती हैं…!!