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कभी-कभी बहुत सताता
हैं यह सवाल मुझे,
हम मिले ही क्यों थे,
जब हमें मिलना ही नहीं था

बेताब आँखे बेचैन दिल
बेपरवाह साँसे बेबस ज़िन्दगी..
बेहाल हम बेखबर तुम..!!

नामों का इक हुजूम
सही मेरे आस पास
ये दिल सुन के मग़र इक
नाम धड़कता क्यों है

तेरे ना होने से बस इतनी
सी कमी रहती है…
मैं लाख मुस्कुराऊँ..
आखो में नमी रहती है….

मैंने छोड़ दिया है किस्मत
पर यकीन करना,,,
अगर लोग बदल सकते है
तो किस्मत क्या चीज है ….

तुम किसी और से इश्क़ कर लो
हमें अमीर होने में ज़रा वक़्त लगेगा

इश्क किया या खता खुदा जाने,
तुम्हारे पास वक्त नहीं
हमारे पास तुम नहीं

तुझसे मिलने को कभी हम जो मचल जाते हैं
तो ख़्यालों में बहुत दूर निकल जाते हैं
गर वफ़ाओं में सदाक़त भी हो और शिद्दत भी
फिर तो एहसास से पत्थर भी पिघल जाते हैं

महफिल मे हँसना मेरा मिज़ाज बन गया
तन्हाई मे रोना राज बन गया
दिल के दर्द को जाहिर ना होने दिया
यही मेरे जीने का अंदाज बन गया

निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुए,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया