इसलिए खामोश रह के उम्र पूरी काट दी

इसलिए खामोश रह के उम्र पूरी काट दी…
ज़िन्दगी तुझसे बहस का फायदा कोई नहीं…




हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं

हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं ।

हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं ।




सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये

सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी, यहीं परछाइयां हमने..




सब कुछ हासिल नहीं होता है जिंदगी में

सब कुछ हासिल नहीं होता है जिंदगी में..
किसी का काश और किसी का अगर रह ही जाता है…




मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती

मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती;
हौंसले भी टूट जाते हैं अक्सर उदास रहने से।




ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं

ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं…